भारतीय चित्रकला के कालानुसार कुछ आधुनिक निदर्शन
आधुनिक भारतीय शिल्पकला के जनक अवनिन्द्रनाथ ठाकुर ने उन्नीसवी सदी में शान्तिनिकेतन में कलाभवन का स्थापना किया था। उस ज़माने के प्राय सभी प्रमुख कला कार शान्तिनिकेतन से जुडे थे।

अबनिन्द्रनाथ ठाकुर के द्वारा किये गए वश चित्रकला

नंदलाल बोस: कलाभवन के प्रिन्सिपाल एवं आने वाले कल के प्रमुख शिल्पियों के अध्यापक

बंगाल के तरह उस वक्त भारत के एक और प्रांत में kalaa के क्षेत्र मी मूल चिंतन का निदर्शन रखे थे। वह क्षेत्र था केरल। राजा रवि वर्मा थे इस क्षेत्र के सर्व प्रमुख कलावीध।

बाबुराव पेंटर की कलाकृति

रामकिंकर बैज की रचना
गागानेंद्र नाथ के बंगाल स्कूल के विरोध में शुरू हुआ था कलकत्ता ग्रुप जिसके मुख्य मेम्बर्स थे रामकिंकर बैज, जमीनी राय और परितोष सेन। और इसके कुछ समय बाद मुम्बई मी शुरू हुआ प्रोग्रेसिव अर्तिस्ट्स ग्रुप जिसके प्रायोजक थे फ्रांसिस सुजा और मकबूल फ़िदा हुसैन

सुजा कि रचना
कुछ सालों तक मुम्बई के शिल्पियों का ही बोलबाला रहा। फिर बंगाल मी बना एक नया ग्रुप : सोसैती ऑफ़ कोंतेम्पोरारी अर्तिस्ट्स। भारत के प्राय सभी प्रमुख कलाकार कुछ दिनों के लिए इस विराट ग्रुप के सदस्य रहे। जैसे गणेश पाइन, बिकाश भट्टाचार्य, और मनु पारेख।

गणेश पाइन

मनु पारेख
परन्तु आधुनिक युग में येः सारे ग्रुपों का कों बोलबाला नहीं रहा। आजकल के प्रमुख शिल्पियाँ किसी ग्रुप में काम नहीं करते। अतुल दोदिया, देवज्योति रे , चिंतन उपाध्याय एवं परेश मैती सम्पूर्ण रूप से स्वतंत्र काम करते हैं। ये किसी विशेष अंचल को प्रतिबिम्बित न करके सम्पूर्ण भारत कि आधुनिक चिंतन को दर्शाते हैं।

अतुल दोदिया
देवज्योति रे

परेश मैती
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